चैत्रे नवम्यां प्राक् पक्षे दिवा पुण्ये पुनर्वसौ ।
उदये गुरुगौरांश्चोः स्वोच्चस्थे ग्रहपञ्चके ॥
मेषं पूषणि सम्प्राप्ते लग्ने कर्कटकाह्वये ।
आविरसीत्सकलया कौसल्यायां परः पुमान् ॥

 हिन्दुओं के व्रत और त्यौहार में राम नवमी का विशेष महत्व है। राम नवमी चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। भगवान श्री रामचंद्र का जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था। इस दिन को रामचंद्र जी के जन्म दिवस के रूप में सभी रामभक्त बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाते हैं। राम नवमी के त्यौहार के साथ ही चैत्र नवरात्री का समापन होता है।

धार्मिक ग्रंथो के अनुसार कलियुग मे भगवान राम के स्मरण मात्र से मनुष्य की सारी बाधाएँ समाप्त हो जाएगी। मनुष्य के अंतिम समय मे भगवान राम का नाम ही मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति देगा। भगवान राम को मर्यादापुरुषोत्तम भी कहते हैं उन्होने कठिन समय मे भी धर्म का साथ नही छोड़ा और न ही अनीति को अपनाया।

महाकवि तुलसीदास जी ने कहा है  भगवान श्रीराम का नाम अमोघ है। इन के नाम मात्र से मनुष्य के सारे क्लेशदूर हो जाते हैं।
“रामनाम कि औषधि खरी नियत से खाय,
अंगरोग व्यापे नहीं महारोग मिट जाये।”

भगवान राम भगवान विष्णु के प्रमुख अवतारो मे से एक माने जाते है। पौराणिक कथाओ के अनुसार धरती पर फैले अत्याचार और असुरों के विनाश के लिए भगवान विष्णु ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के रूप में अवतार लिया। मान्यता है कि राम नवमी के दिन ही गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना शुरू की थी।

रामनवमी का दिन आश्विन नवरात्री का नवां और अंतिम दिन होता है, इस दिन भक्त गण माँ सिद्धि दात्री की आराधना करते है और इस के साथ ही चैत्र नवरात्र की समाप्ति भी हो जाती है इसलिए नवां नवरात्र और रामनवमी, दोनों पर्व एक साथ एक दिन होने पर इस दिन का महत्व और भी ज्यादा बढ जाता है । राम नवमी के अवसर पर पूरे देश के मंदिरो में विशेष पूजा अर्चना की जाती है लेकिन उत्तर प्रदेश के अयोध्या नगरी में भक्तों का विशेष उत्साह देखने को मिलता है। इस दिन अयोध्या नगरी में देश विदेश से लाखो श्रद्धालू आकर पवित्र सरयू नदी में  स्नान कर भगवान श्री राम की आराधना करते हुए उनका जन्म उत्सव मनाते हैं।

रामनवमी के दिन क्या करना चाहिए।

रामनवमी का पर्व पापों का नाश करने वाला और शुभ फल प्रदान करने वाला है । इस दिन बहुत से भक्तगण व्रत रखते  हैं।
इस दिन रामायण का पाठ करने से अक्षय पुण्य  मिलता है अगर रामायण का पाठ संभव ना हो तो सुन्दरकांड जरूर पढ़ना चाहिए । रामनवमी के दिन रामरक्षा स्त्रोत का पाठ करना चाहिए इससे जीवन के सभी कष्ट और  संकट दूर होते  हैं।
इस दिन घरों और मंदिरो में  भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाना चाहिए। इस दिन भगवान राम के दर्शन और उनकी मूर्ति को फूल-माला से सजाने से जीवन में सुख – समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। रामनवमी  के दिन भगवान राम का जन्म होने के कारण बहुत से भक्त गण भगवान राम की मूर्ति को पालने में भी  झुलाते हैं। राम नवमी के दिन भगवान श्री राम को शहद अर्पित करने से प्रेम में सफलता मिलती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है।

भगवान श्री राम  सम्पूर्ण सृष्टि के राजा माने गए है अतः इस दिन उनकी विधि पूर्वक आराधना करने से जीवन के सभी मनोरथ निश्चय ही पूरे होते  हैं। भगवान राम की पूजा विधि

रामनवमी के दिन प्रात: स्नान आदि के बाद भगवान राम की मूर्ति या तस्वीर को शंख से स्नान कराकर उन्हें पीले चन्दन से तिलक करें, फिर उन्हें लौंग, इलाइची, शहद, सुपारी, नारियल, पान, फल, प्रसाद  चढ़ाएं। अगर संभव हो तो  पीला जनेऊ फिर पीले फूलों की माला पहनाएं। भगवान राम को श्री विष्णु का अवतार माना गया है इसलिए उन्हें तुलसी दल भी चढ़ाना चाहिए क्योंकि तुलसी दल के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है। पूजा के बाद भगवान राम की आरती करके प्रसाद बाँटना चाहिए। ऐसी मान्यता हैं की  जो भक्त गण राम नवमी के दिन भगवान श्री राम की विधि पूर्वक आराधना करते हैं उनको इस संसार के समस्त भौतिक सुखों की प्राप्ति होती हैऔर उनके पूर्वजों  को मोक्ष मिलता है, उनके परिवार में लोग संस्कारी होते हैं और अंत में उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है।