चंद्रमा को नवग्रहों में सबसे शीतल और शांति का सूचक माना गया है। ऐसा कहा जाता है कुंडली में इनकी स्थिति अच्छी हो तो ये जीवन में शुभ प्रभाव देते हैं। चंद्र देव को मस्तिष्क का कारक ग्रह माना गया है। इसलिए चंद्र देव का व्यक्ति के कुंडली में शुभ दिशा-दशा में होना बेहद जरूरी है। शास्त्रों में चंद्रदेव की कृपा प्राप्ति के लिए पूर्णिमा व्रत का महत्व बताया गया है,साथ ही साथ पूर्णिमा तिथि को चंद्रदेव की पूजा के बाद उनकी आरती करने का भी विधान बताया गया है। ऐसा मन गया है की चंद्रदेव की पूजा में उनकी आरती करने से चंद्रदेव अतिप्रसन्न होते हैं और भक्तों को मनचाहा फल देते हैं

|| चन्द्र देव जी की आरती ||

ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा ।
दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी ।

रजत सिंहासन राजत, ज्योति तेरी न्यारी ।
दीन दयाल दयानिधि, भव बन्धन हारी ।

जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे ।
सकल मनोरथ दायक, निर्गुण सुखराशि ।

योगीजन हृदय में, तेरा ध्यान धरें ।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, सन्त करें सेवा ।

वेद पुराण बखानत, भय पातक हारी ।
प्रेमभाव से पूजें, सब जग के नारी ।

शरणागत प्रतिपालक, भक्तन हितकारी ।
धन सम्पत्ति और वैभव, सहजे सो पावे ।

विश्व चराचर पालक, ईश्वर अविनाशी ।
सब जग के नर नारी, पूजा पाठ करें ।

ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा ।
दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी ।