हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को माघी सप्तमी का व्रत रखा जाता है। पुराणों में सप्तमी तिथि को सूर्य भगवान को समर्पित किया गया है। माघी सप्तमी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस सप्तमी को, रथ सप्तमी, माघी सप्तमी, रथ सप्तमी और सूर्य जयंती के नाम से भी जाना जााता है। इस दिन को भगवान् सूर्य के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भविष्यपुराण में कहा गया है की मात्र इस दिन भोजन में नमक का त्याग करने से साल भर रविवार को मीठा भोजन करने का पुण्य मिल जाता है। पूरे एक साल में आने वाले सभी सप्तमी तिथियों में माघी सप्तमी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत, स्नान, दान और सूर्य देव की पूजा करने से जीवन में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है।आइए जानते हैं माघी सप्तमी कब होती है, साथ ही जानते हैं माघी सप्तमी का महत्व क्या है और इस दिन व्रत करने से क्या लाभ मिलता है। बता दें कि माघी सप्तमी का व्रत अलग अलग विधियों से किया जाता है और इसलिए इसके कई नाम हैं। आइए इसके बारे में और विस्तार से जानते हैं..

माघी सप्तमी का पौराणिक महत्व

1.सूर्य देव की जयंती

माघी सप्तमी को सूर्य जयंती भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन को भगवान सूर्य के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। हिंदू धर्म में सूर्य देव को जीवन, ऊर्जा और अच्छे स्वास्थ्य का स्रोत माना जाता है। कहा जाता है कि माघी सप्तमी तिथि को ही सूर्यदेव का अवतरण हुआ था और उन्होंने संसार को नया जीवन और ऊर्जा प्रदान की थी।

2.राजा सत्यहरिश्चंद्र की कथा

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार,सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र ने अपनी कठिनाइयों और पापों से मुक्ति पाने के लिए माघी सप्तमी के दिन स्नान किया और व्रत रखा था, जिससे उन्हें पुण्य प्राप्त हुआ और वे अपने जीवन की कठिनाइयों से मुक्त हो गए ।

3.रथ सप्तमी और सूर्य देव का रथ

शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान सूर्य सप्त अश्वों (सात घोड़ों) से युक्त अपने स्वर्णिम रथ पर सवार होकर संसार में प्रकाश और जीवन का संचार करते हैं। ये सात घोड़े सप्ताह के सात दिनों के प्रतीक माने जाते हैं, और ये सातों दिन ऊर्जा, शक्ति और जीवन में संतुलन का प्रतीक है।

माघी सप्तमी का धार्मिक महत्व

1.पापों का नाश करने वाली तिथि

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माघी सप्तमी पर गंगा, यमुना, नर्मदा, गोदावरी या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है। यह दिन मोक्ष प्राप्ति के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है।

2.रोगों से मुक्ति का पर्व

हिन्दू धर्म शास्त्रों में वर्णित है कि माघी सप्तमी पर सूर्य देव की उपासना करने और उन्हें अर्घ्य अर्पित करने से गंभीर रोगों से मुक्ति मिलती है। विशेष रूप से सूर्य उपासना से त्वचा रोगों और अन्य शारीरिक कष्टों से राहत मिलती है।

धन, सुख और समृद्धि प्राप्ति का अवसर

सूर्य देव को ऊर्जा, शक्ति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। माघी सप्तमी के दिन व्रत रखने , सूर्या उपासना करने और दान करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

माघी सप्तमी का ज्योतिषीय महत्व

1.सूर्य की स्थिति और ज्योतिषीय प्रभाव
माघी सप्तमी के दिन सूर्य मकर राशि में स्थित होते हैं और उत्तरायण की गति शुरू होती है। इस समय सूर्य की ऊर्जा अधिक प्रभावशाली होती है और इसका सकारात्मक प्रभाव जीवन पर पड़ता है। इस दिन किए गए स्नान, दान और पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है।

माघी सप्तमी से जुड़ी विशेष परंपराएँ

सूर्य उपासना के लिए प्रसिद्ध स्थान
संगम (प्रयागराज) में स्नान – माघी सप्तमी के दिन प्रयागराज (इलाहाबाद) में कुंभ और माघ मेले में संगम स्नान का विशेष महत्व होता है।
अरिकामेडु (तमिलनाडु) – यह स्थान सूर्य उपासना के लिए प्रसिद्ध है, जहां माघी सप्तमी पर मेला लगता है और विशेष पूजा होती है। कोंकण और महाराष्ट्र में सूर्य देव की भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है।

कृषि और ग्रामीण परंपराएँ
माघी सप्तमी का पर्व किसानों के लिए भी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस समय नई फसलें पकने लगती हैं। इस दिन किसान सूर्य उपासना के माध्यम से भगवान सूर्य को धन्यवाद देते हैं और अच्छी फसल की प्रार्थना करते हैं।

    माघी सप्तमी की पूजा विधि

    1.प्रातःकाल स्नान और व्रत का संकल्प

    इस दिन प्रातः सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी या घर में स्नान करना चाहिए। हो सके तो नहाने के पानी में ही गंगा जल मिला कर स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनकर व्रत और पूजा का संकल्प लेना चाहिए।

    2.सूर्य देव को अर्घ्य प्रदान करना

    तांबे के लोटे में जल, लाल फूल, अक्षत (चावल), तिल और गुड़ डालकर भगवान् सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए।
    अर्घ्य देते समय “ॐ घृणिः सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करना शुभ फलदायी माना जाता है।

    3.दान-पुण्य का महत्व

    माघी सप्तमी के दिन तिल, गुड़, अन्न, वस्त्र, और तांबे के पात्र का दान करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
    इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराना अत्यंत फलदायी माना जाता है।

    अतः, माघी सप्तमी या रथ सप्तमी सूर्य देव की पूजा का विशेष पर्व है, जो धार्मिक,आध्यात्मिक
    और वैज्ञानिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन किए गए स्नान, दान और सूर्य उपासना से जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। यह पर्व हमें प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखने और सकारात्मक ऊर्जा को आत्मसात करने का संदेश देता है।