श्री हनुमान जी की आरती को हनुमान जी के अन्य सभी पूजा व पाठ जैसे हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, संकट मोचन हनुमान अष्टक और सुंदरकाण्ड इत्यादि सभी के बाद किया जाता है | हनुमान आरती के बाद हनुमान जी की पूजा को पूर्ण माना जाता है । अगर आप समय के अभाव में केवल हनुमान जी की आरती भी प्रेम से गाते है तो इतना भी उनको प्रसन्न करने के लिए काफी अच्छा माना जाता है|
आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।। जाके बल से गिरिवर कांपे । रोग दोष जाके निकट न झांके ।। अंजनि पुत्र महा बलदाई । सन्तन के प्रभु सदा सहाई ।। दे बीरा रघुनाथ पठाए । लंका जारि सिया सुधि लाए ।। लंका सो कोट समुद्र सी खाई । जात पवनसुत बार न लाई ।। लंका जारि असुर संहारे । सियारामजी के काज सवारे ।। लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे । आनि संजीवन प्राण उबारे ।। पैठि पाताल तोरि जम-कारे । अहिरावण की भुजा उखारे ।। बाएं भुजा असुरदल मारे । दाहिने भुजा संतजन तारे ।। सुर नर मुनिजन आरती उतारें । जय जय जय हनुमान उचारें ।। कंचन थार कपूर लौ छाई । आरती करत अंजना माई ।। लंका विध्वंस किये रघुराई । तुलसीदास प्रभु आरती गाई ।। जो हनुमानजी की आरती गावे । बसि बैकुण्ठ परम पद पावे ।।