कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता ह। इसे धन त्रयोदशी के नाम से भी जानते हैं। कार्तिक कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तिथि को ही समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। भगवान धन्वंतरि के अलावा इस दिन माता लक्ष्मी धन के देवता कुबेर और मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है। धनतेरस के त्यौहार के दिन से ही दीपावली का त्योहार शुरू हो जाता है। धनतेरस के दिन सोना -चांदी तथा इनसे बने हुए आभूषण और नए बर्तन खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है। शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे जिस तिथि को भगवान धन्वंतरि समुद्र से प्रकट हुए थे वह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी चूंकि,भगवान धन्वंतरि समुद्र से कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परंपरा चली आ रही ह। भगवान धन्वंतरि को विष्णु भगवान का अंश माना जाता है और इन्होंने ही पूरी दुनिया में चिकित्सा विज्ञान का प्रचार और प्रसार किया था। धनतेरस के दिन भगवान धन्वन्तरि की पूजा करने से व्यक्ति को आरोग्य की प्राप्ति होती है तथा बर्तन और सोने तथा चांदी के आभूषण आदि खरीदने से मनुष्य पर माता लक्ष्मी की कृपा बरसती है । धनतेरस की तिथि के दो दिन के बाद ही दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है क्योंकि भगवान धन्वंतरि के बाद माता लक्ष्मी कार्तिक कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि जिसे अमावस्या भी कहते है समुद्र मंथन से निकली थी इसलिए इस दिन दीपावली का पर्व मनाया जाता है,तथा माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है। धनतेरस के दौरान देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए नए सामान खरीदने से घर में सौभाग्य, सुख और समृद्धि आती है.