हिन्दू धर्म में महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र के लिए कई प्रकार के पूजा पाठ एवं व्रत करती है, ऐसा ही एक व्रत है सोमवती अमावस्या का व्रत जिसको महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती है, और सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त करती है।आइये जानतें हैं सोमवती अमावस्या क्या है ? इसका महत्व क्या है ?
सोमवती अमावस्या क्या है ?
सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या तिथि को सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इसका हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है, यह अमावस्या साल में लगभग एक या दो बार ही आती है। इस दिन भगवान शंकर तथा माता पार्वती की पूजा अर्चना का भी विशेष महत्व होता है, इसके प्रभाव से कुंडली में कमजोर चंद्रमा को बलवान किया जा सकता है। प्रत्येक अमावस्या को सूर्य तथा चंद्र एक ही राशि में स्थित रहते हैं। इसलिए यह व्रत विशेष पुण्य देने वाला होता है।
सोमवती अमावस्या का महत्व क्या है ?
सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। सोमवती अमावस्या के दिन व्रत रखकर शिव और पार्वती की पूजा करने से सभी संकट दूर होते हैं, पाप से मुक्ति मिलती है । वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर होती हैं। विवाहित महिलाएं इस दिन अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है। हिन्दू धर्म में मान्यता के अनुसार इस दिन पीपल की पूजा अर्चना करके पितरों को भी प्रसन्न किया जाता है और माना जाता है कि ऐसा करने से घर में अन्न धन की कोई कमी नहीं रहती है। इस दिन स्नान, दान करने का विशेष महत्व होता है, इस तिथि पर किए गए तीर्थस्नान और दान से बहुत पुण्य मिलता है और पापों का नाश होता है। सोमवती अमावस्या पर तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। शास्त्रों में अमावस्या तिथि के दिन गंगा स्नान और दान करने का महत्व भी बताया गया है।
जैसा की हम सभी जानते है, कि हिन्दू धर्म में सभी देवी देवताओं का अपना एक विशेष स्थान है, हम सभी अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए विभिन्न देवी देवताओं की आराधना करते है। जिससे उस देवी देवता की कृपा दृष्टि हमे प्राप्त हो सके। सोमवती अमावस्या के दिन व्रत रखकर शिव और पार्वती की पूजा करने से सभी संकट दूर होते हैं, पाप से मुक्ति मिलती है । वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर होती हैं। शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत की भी संज्ञा दी गयी है। अश्वत्थ यानि पीपल वृक्ष। माना जाता है कि अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष में पितरों का वास होता है। इस दिन पीपल और भगवान विष्णु का पूजन किया जाए तो सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन विवाहित स्त्रियों द्वारा पीपल के वृक्ष की दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन ,नेवैद्य इत्यादि से पूजा करने तथा वृक्ष के चारों ओर 108 बार धागा लपेट कर परिक्रमा करने का विधान भी बताया गया है।