माँ गायत्री जी की आरती को गायत्री मंत्र के सामान ही फलदायी बताया गया है। वेदमाता गायत्री सभी मनोकामनाओं की पूर्ती करने वाली मानी जाती है। उनका स्मरण ,मंत्र – जप हर बाधाओं का निवारण कर देता है। माँ गायत्री की पूजा करने के बाद आरती करने का विशेष महत्व है। गायत्री आरती का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक रूप से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
श्री गायत्री आरती
जयति जय गायत्री माता,
जयति जय गायत्री माता ।
सत् मारग पर हमें चलाओ,
जो है सुखदाता ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
आदि शक्ति तुम अलख निरंजन जगपालन करती ।
दु:ख शोक, भय, क्लेश कलश दारिद्र दैन्य हरती॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
ब्रह्म रूपिणी, प्रनत पालिनी जगत धातृ अम्बे ।
भव भयहारी, जन-हितकारी, सुखदा जगदम्बे ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
भय हारिणी, भवतारिणी, अनघे अज आनन्द राशि ।
अविकारी, अघहारी , अविचलित, अमले, अविनाशी ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
कामधेनु सतचित आनन्द जय गंगा गीता ।
सविता की शाश्वती, शक्ति तुम सावित्री सीता ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
ऋग, यजु साम, अथर्व प्रणयनी, प्रणव महामहिमे ।
कुण्डलिनी सहस्त्र सुषुमन शोभा गुण गरिमे ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
स्वाहा, स्वधा, शची ,ब्रह्माणी ,राधा, रुद्राणी ।
जय सतरूपा, वाणी, विद्या, कमला, कल्याणी ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
जननी हम हैं दीन-हीन, दु:ख-दरिद्र के घेरे ।
यदपि कुटिल, कपटी कपूत तउ बालक हैं तेरे ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
स्नेहसनी करुणामय माता चरण शरण दीजै ।
विलख रहे हम शिशु सुत तेरे दया दृष्टि कीजै ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
काम, क्रोध, मद, लोभ, दम्भ, दुर्भाव द्वेष हरिये ।
शुद्ध बुद्धि निष्पाप हृदय मन को पवित्र करिये ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
जयति जय गायत्री माता,
जयति जय गायत्री माता ।
सत् मारग पर हमें चलाओ,
जो है सुखदाता ॥
॥ इति श्री गायत्री आरती समाप्त ॥